"धेनु" शरणम् गच्छामि

गोवंश भारतीय जीवन और संस्कृति का अभिन्न अंग है, जब से सृष्टि की रचना हुई तभी से गौ इतिहास का भी प्रारम्भ होता है| आदिकाल में देव और दानवों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था| प्रभु ने कच्छप अवतार लेकर सुमेरु पर्वत को धारण किया और वासुकी नाग को रज्जू के तौर पर प्रयोग में लाकर मंथन किया, जिसमें प्रथम रत्नस्वरूपा कामधेनु का प्रागट्य हुआ जो सभी मनोकामना, संकल्प और आवश्यकता पूर्ण करने में सक्षम थी|
वर्तमान समय में व्याप्त सभी समस्याओं का समाधान गौवंश से संभव है| भारत के स्वस्थ, समृद्ध और विकास के स्वप्न को यह ”कामधेनु” ही पूर्ण कर सकती है| यदि हमें जल, जमीन, जंगल, जीवात्मा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और संस्कारों की रक्षा करनी हो तो सर्वप्रथम गौवंश का संरक्षण अतिआवश्यक है|
”धेनु टी.वी.” इसी दिशा में कार्य करने के लिए पूर्णतया प्रयासरत है , जरुरत है आपके सकारात्मक सहयोग की ………